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वक़्त के हाथों का इक खिलौना है इन्सां..

My Poetry दिल की कलम से
My Poetry दिल की कलम से
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वक़्त के हाथों का इक खिलौना है इन्सां,
हालात के आगे कितना बौना है इन्सां |
रूह भी छिल जाती है जीवन के सफ़र में ,
नुकीली ज़मीनों का बिछौना है इन्सां |
किस्मत में जो नहीं तुझे मिल नहीं सकता
तकदीर बिना आधा कभी पौना है इन्सां |
मंजिल दिखे मगर उसे पाना नहीं मुमकिन
ढूंढता कस्तूरी को मृग-छौना है इन्सां |
बेबसी ने इसको बिखेरा है हमेशा से
बेचारगी का कोई ओलौना है इन्सां |
मृग छौना – हिरन का बच्चा
ओलौना – उदाहरण

वक़्त के हाथों का इक खिलौना है इन्सां,

हालात के आगे कितना बौना है इन्सां |


रूह भी छिल जाती है जीवन के सफ़र में ,

नुकीली ज़मीनों का बिछौना है इन्सां |


किस्मत में जो नहीं तुझे मिल नहीं सकता

तकदीर बिना आधा कभी पौना है इन्सां |


मंजिल दिखे मगर उसे पाना नहीं मुमकिन

ढूंढता कस्तूरी को मृग-छौना है इन्सां |


बेबसी ने इसको बिखेरा है हमेशा से

बेचारगी का कोई ओलौना है इन्सां |


मृग छौना – हिरन का बच्चा

ओलौना – उदाहरण

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